किसी ने सच कहा है कि मर्द अपने परिवार की मौजूदगी में कुछ अलग नजर आता है। एक अलग सा धैर्य, एक अलग सा विश्वास, और एक अलग सी चाह होती है। यह बात नीतीश कुमार रेड्डी के लिए भी सही थी, जब उन्होंने अपने पहले टेस्ट शतक के दौरान अपने पिता को गर्व महसूस कराया।
यह एक खास मौका था। नीतीश के पिता, मृत्यु आला रेड्डी, स्टेडियम में मौजूद थे। वह भगवान से प्रार्थना कर रहे थे, हर गेंद पर उनकी आँखें बंद थीं। जब नीतीश ने 100 रन बनाए, तो वह अपने आंसुओं को रोक नहीं पाए। यह एक पिता के लिए अपने बेटे की सफलता का सबसे भावुक और खूबसूरत लम्हा था।

पिता की मेहनत और बलिदान
नीतीश कुमार रेड्डी का क्रिकेट करियर उनके पिता के संघर्षों का परिणाम है। मृत्यु आला रेड्डी ने अपनी नौकरी छोड़ दी थी ताकि वह अपने बेटे के क्रिकेट के सपनों को पूरा कर सकें। जब नीतीश 5 साल के थे, तब से उन्होंने क्रिकेट खेलना शुरू किया। उनके पिता ने उनके लिए हर संभव कोशिश की।
जब नीतीश 12 साल के थे, उनके पिता का ट्रांसफर उदयपुर हो गया। मृत्यु आला ने पत्नी से कहा कि वह बेटी का ध्यान रखेंगी, और वह अपने बेटे के सपने को पूरा करने में जुट जाएंगे। उन्होंने 25 साल पहले रिटायरमेंट ले ली, और नीतीश के क्रिकेट करियर को आगे बढ़ाने के लिए हर संभव प्रयास किया।
नीतीश का क्रिकेट सफर
नीतीश ने अपने पहले टेस्ट में कई बार अच्छा प्रदर्शन किया, लेकिन उनका पहला शतक उनके लिए सबसे खास था। यह शतक तब आया जब भारत 191/6 पर था और फॉलो-ऑन का खतरा मंडरा रहा था। उन्होंने 127 रन की साझेदारी की, जो भारत के लिए 8वें विकेट की दूसरी सबसे बड़ी साझेदारी है।

उनका शतक एक विशेष लम्हा था, क्योंकि वह केवल तीसरे भारतीय बल्लेबाज बने जिन्होंने ऑस्ट्रेलिया में पहले टेस्ट में शतक बनाया। इससे पहले विराट कोहली और केएल राहुल ने भी यह उपलब्धि हासिल की थी।
पिता की भावनाएँ और खेल का महत्व
नीतीश के पिता ने इस खास लम्हे को बहुत खास बताया। उन्होंने कहा कि उनके बेटे का शतक केवल एक शतक नहीं था, बल्कि यह दशकों के संघर्ष का फल था। नीतीश ने अपने पिता की आँखों में आंसू देखे और यह समझा कि क्रिकेट केवल मौज-मस्ती के लिए नहीं, बल्कि गंभीरता से खेलने का खेल है।

जब नीतीश ने 99 पर पहुंचने के बाद अपने साथी को खो दिया, तो उनके पिता की हालत खराब हो गई। लेकिन जब नीतीश ने चौका मारा और अपना शतक पूरा किया, तो उनके पिता ने आसमान की तरफ देखा और हाथ जोड़ लिए। यह एक अद्भुत कहानी थी, जो एक पिता के लिए गर्व और खुशियों से भरी थी।
नीतीश का भविष्य
नीतीश कुमार रेड्डी का यह पहला शतक उनके करियर की शुरुआत है। उनके पिता ने हमेशा उनके सपनों की दिशा में उन्हें प्रेरित किया। नीतीश ने भी यह सुनिश्चित किया है कि वह अपने पिता के संघर्षों को व्यर्थ नहीं जाने देंगे।
यह कहानी हमें यह सिखाती है कि अगर आप अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित हैं और अपने परिवार का समर्थन पाते हैं, तो आप किसी भी मुश्किल को पार कर सकते हैं। नीतीश का यह शतक केवल एक व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं, बल्कि एक पिता और बेटे के रिश्ते की भी कहानी है।

इसलिए, हम सभी नीतीश कुमार रेड्डी को उनके पहले टेस्ट शतक के लिए बधाई देते हैं, और उनके पिता के बलिदान और समर्थन को भी सलाम करते हैं। यह एक प्रेरणादायक कहानी है जो हमें यह सिखाती है कि सपने देखने और उन्हें साकार करने की ताकत परिवार में होती है।